योग आधुनिक समाज की आवश्कता


          आज के समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो योग से अपरीचित हो, हर व्यक्ति चाहे वह बच्चा हो, युवा हो या वृद्ध ही क्यो न हो सभी योग के विषय में अपने-अपने स्तर से जानते और समझते है। हमने देखा है कि आजकल कई लोग जो योग के विद्यार्थी नहीं रहे है वे भी कही से थोडा बहुत योग की जानकारी लेकर योग की कक्षाएँ देना प्रारम्भ कर देते है। जिसके कारण योग के विषय में कुछ भ्रान्तियाँ भी उत्पन्न हुई है, फिर भी यह इस बात को दर्शाता है कि आज के समय में योग कितना अधिक प्रचलित हो चुका है। 

        

          योग के प्रचलन को इस बात से भी जाना जा सकता है कि आज लगभग हर व्यक्ति योग का अभ्यास करना चाहता है। योग का अभ्यास करने वाले व्यक्तियों को हम दो वर्गो में विभाजित कर सकते है। पहले वे लोग है जो रोगी है और किसी चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद योग करना प्रारम्भ कर रहे है और दूसरे वे लोग है जो पूर्ण रूप से स्वस्थ है और केवल अपने आप को फिट रखने के लिए योग का अभ्यास करना चाहते है। इनके अतिरिक्त एक वर्ग ऐसा भी है जो योग करना तो चाहते है परन्तु करते नहीं है। वे केवल शौक के लिए कोई कक्षा या योग केन्द्र से जुडते तो है परन्तु अधिक समय तक अभ्यास नहीं करते। ऐसे लोग तुरन्त अपने अन्दर बदलाव लाना चाहते है, परन्तु ऐसा सम्भव नहीं है। कोई भी परिवर्तन अचानक से नहीं होता है। हम अचानक से बुढ़े नहीं हो जाते है उसमें एक लम्बा समय लगता है। ऐसे ही जब हम किसी चीज की शुरूआत करते है तो उसके परिणाम आने में भी समय लगता है। ऐसे लोगो को हमारा सुझाव है कि थोडे से संयम के साथ यदि आप योग को अभ्यास करते है तो आपको लम्बे समय के लिए लाभ अवश्य प्राप्त होगा। 

       अब वापस अपने विषय पर आते है कि आज के इस आधुनिक युग में योग हमारी आवश्कता बन चुका है। जब हम रोगी होकर योग की तरफ आते है तो योग हमारे लिए मजबूरी बन जाता है तब हमे मजबूर होकर योग की क्रियाओं का अभ्यास करना पडता है। जो सभी के लिए सुलभ नहीं हो पाता है। कई बार रोग इतने गम्भीर होते है कि हम चाह कर भी आवश्यक अभ्यास नहीं कर पाते। जिससे योग का पूर्ण लाभ रोगी को प्राप्त नहीं होता है और उसका विश्वास भी योग के प्रति कम होने लगता है। रोगी व्यक्ति को यही सलाह दी जाती है कि वह विश्वास के साथ लम्बे समय तक अपने योगाभ्यास को करता रहे क्योकि रोग जितना पूराना होगा उसे ठिक होने मे भी उतना ही अधिक समय लगेगा। इस स्थिति से बचने का उपाय है कि समय रहते ही योग को अपनाया जाय। एक कुशल योग गुरू जिसने योग के विषय को अच्छे से जाना हो, समझा हो उन्हीं के मार्गदर्शन में योग का अभ्यास करे। जिससे आपको योग का पूर्ण लाभ प्राप्त हों। 

          यदि हम समय रहते योग को अपने जीवन में अपना ले और नियमित योग का अभ्यास करे तो हम अपने-आप को रोगो से दूर रख सकते है। हमने कई लोगो से सुना है कि ‘‘हम तो स्वस्थ है हमे योग की आवश्कता नहीं है।’’ इस पर हम कहना चाहते है कि योग कोई औषधि नहीं है जिसे केवल रोग ग्रस्त होने पर ही लिया जाय। आप नियमित योग का अभ्यास कर स्वयं को रोगो से दूर रख सकते है। आयुर्वेद का प्रयोजन बताते हुए महर्षि चरक ने कहा है कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ की रक्षा और रोगी व्यक्ति के रोग को दूर करना ही आयुर्वेद का प्रयोजन है। योग भी इसी सिद्धान्त को मानता है। अतः योग एक ऐसी विद्या है जिसको अपना कर स्वस्थ व्यक्ति अपने स्वास्थ की रक्षा कर सकता है और रोगी व्यक्ति अपने रोगो का निवारण भी कर सकता है।

                 अतः योग के आवश्कता को समझते हुए आप भी अपने जीवन में योग को अपनाए। अपने व्यस्त समय से अपने लिए थोडा समय निकाल कर स्वयं के लिए योग का अभ्यास अवश्य करें। 



Comments